shiv chalisa lyrics in english Fundamentals Explained
shiv chalisa lyrics in english Fundamentals Explained
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मातु पिता भ्राता सब कोई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥
मोहिः संभ्रान्तः स्थित्वा शान्तिं न प्राप्नोत्।
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
थोड़ा जल स्वयं पी लें और मिश्री प्रसाद के रूप में बांट दें।
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
बिद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।
अर्थ- अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी, तब आप प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छित वर प्रदान किया।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै।।
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु click here शंकर । भये प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥